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कुकुरमुत्ते के तरीके से फैला है झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बने अनजान

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कुकुरमुत्ते के तरीके से फैला है झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बने अनजान

  परसेन्डी सीतापुर ,21 जुलाई, बिन्दू मौर्या

परसेन्डी सीतापुर इलाक़े के सीएचसी के चंद कदम पर अवैध क्लीनिक संचालित है । डॉक्टर शिबू मोहरेेय्या कला गांव के बीच रोड पर प्रधान के घर के पास, डॉक्टर पंडित गांव के दक्षिण चक्की के पास ,डॉ रामकुमार रेलवे क्रॉसिंग पर नई दुकान में, डॉक्टर विमल स्कूल में मोहरेय्या खुर्द के पास ,डॉक्टर इसरार तालगांव में, डॉक्टर बंगाली नेवादा रोड पर, डॉक्टर जाहिद पाण्डेय मार्केट के सामने, डॉक्टर बंगाली ब्लॉक रोड पर मौर्या की चक्की के पास ,डॉक्टर यादव बंजरिया धर्मेंद्र यादव, काजी सराय धर्मकांटा के सामने ,डॉक्टर रामदेवी डिलीवरी सेंटर गौतम साइकिल के पास ,डॉक्टर मुजीब रहमान के भाई मेहंदीपुरवा चौराहा पर शंकरपुर गांव में गांव के अंदर से लेकर बहुचर्चित झोलाछाप डॉक्टर कीति भान डॉक्टर राम सिंह इन लोगो के पास लाइसेंस व डिप्लोमा नही है। फिर भी यह लोग खुलेआम झरेखापुर रोड शेरपुरा सरावां एवम अंगेठा चौराहा पर अवैध रूप से क्लीनिक संचालित कर रखे है । मरीजों के साथ कर रहे खिलवाड़

झरेखापुर चौराहा पर अगर देखा जाए तो लगभग कई दर्जन बिना डिग्री के बेखौफ होकर धड़ल्ले से क्लीनिक चला कर बडी बडी बीमारियों का ईलाज करते हैं। कोई आयुर्वेद का नाम देकर बैठता है पर अंग्रेजी दवाइयों से मरीजों का इलाज करता है। तो कोई टूटी हुई हड्डी का ईलाज करता है। और मरीजों से इलाज के नाम पर मोटी रकम खींच कर बीमारियों को ठीक करने का दावा करता है। फर्जी क्लीनिक की बात की जाए तो मेन रोड और मेन चौराहे पर ही दिखेंगे।जो सुबह नौ बजे से रात आठ बजे तक सज कर तैयार रहते हैं और मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं। डिग्री के बारे में अगर डाक्टरों से जानकारी ली भी जाती है तो संतोषजनक जवाब ना देते हुए इधर उधर बात कराकर सिफारिश लगा दी जाती है।चल रहे अवैध तरीके से अस्पतालों की बात कही जाए तो कोई अनुभव के तौर पर ईलाज कर रहा है तो कोई तुक्का मार कर मरीजों को ठीक कर देता है।इस तरीके के इलाज से मरीजों को आराम मिला तो ठीक है नहीं तो मजबूरी में अच्छे अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ता है। अवैध क्लिनिकों के साथ ही कुछ इस तरीके से मेडिकल स्टोर भी चल रहें हैं कि मेडिकल स्टोर में डैमेज दवाइयां भी देखने को मिल ही जाती है। वहीं पर चंद पैसों के लालच में आकर दवा सप्लाई करने वाले कमीशन खोर दवाइयों की सप्लाई भी करते हैं। और अपनी तिजोरी भरने के साथ अवैध क्लिनिकों को संरक्षण देकर बढ़ावा देते हैं । लगातार शिकायत करने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। कहने को तो भले ही बोल देते हैं कि अवैध अस्पतालों पर कार्यवाही की जाएगी लेकिन फिर दो दिन के अंदर ही ठीक उसी तरह मामला साठ गांठ करके अवैध कारोबार चालू हो जाता है।

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