अमरनाथ हिम शिवलिंग की तरह हिमाचल प्रदेश की मनाली की खूबसूरत सोलंग घाटी में प्राकृतिक रूप से बनता है दिव्य, अद्भुत, मनमोहक हिम शिवलिंग ।
😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊
|
अमरनाथ हिम शिवलिंग की तरह हिमाचल प्रदेश की मनाली की खूबसूरत सोलंग घाटी में प्राकृतिक रूप से बनता है दिव्य, अद्भुत, मनमोहक हिम शिवलिंग ।
निर्भीक स्वतन्त्र/ लेखिक पत्रकार राम प्रकाश वत्स
हिमाचल प्रदेश के शिव मंदिरों की श्रृंखला में आपका परिचय कई ऐसे शिव मंदिरों से करा रहा हूं जो दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत हैं, चमत्कारिक अद्भुत है लेकिन अनसुने हैं। आज हनुमान जी के जन्म से सम्बंधित एक ऐसे हिमलिंग के दर्शन करवा रहा हूं जो अमरनाथ के तुल्य है ।देवो के देव महादेव के शिवशक्ति प्रभाव से स्थल पर आने वाले सभी भक्तो की मुरादें पूरी व शिवं तत्व प्राप्ति होती है भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर भी है जिसकी उत्पत्ति को लेकर बड़ी ही रोचक और अटूट विश्वास श्रद्धा का वृत्तांत है।
भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा की जाती है।जटाधारी शिव शंकर को प्रसन्न करने में किसी भी मनुष्य को कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता है। उन्हें सच्ची श्रद्धा मात्र से ही प्रसन्न किया जा सकता है। हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए अमरनाथ यात्रा के लिए पहुंचते हैं। अमरनाथ में पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का निर्माण होता है। हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि हिमाचल प्रदेश में भी एक ऐसा स्थान है जहां पर प्राकृतिक रूप से हिम शिवलिंग का निर्माण होता है। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खूबसूरती से लवरेज मनाली के सोलंग घाटी में पहाड़ियों के बीच बर्फ से विशालकाय शिवलिंग बनता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग माना जाता है। इस स्थान को भगवान हनुमान की माता अंजनी की तपोस्थली माना जाता है। इसलिए इस शिवलिंग को अंजनी महादेव कहा जाता है।
(गिरते झरने से होता है शिवलिंग का निर्माण)
अंजनी महादेव में पहाड़ों से गिरता झरना शिवलिंग का रूप धारण करता है। फरवरी में शिवरात्रि के दौरान आकार 35 फीट से भी अधिक ऊंचा हो जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि त्रेता युग में माता अंजनी ने पुत्र प्राप्ति और मुक्ति पाने के लिए तपस्या की थी। तब भगवान शिव ने उन्हें यहां दर्शन दिए थे। तब से ही यहां पर प्राकृतिक तौर पर बर्फ का शिवलिंग बनता है। हालांकि इस शिवलिंग के बारे में पहले ज्यादा लोगों को पता नहीं था, लेकिन यहां रहने वाले एक बाबा ने लोगों को इसके बारे में बताया। बाबा बारह माह सर्दी व गर्मी में यहां रहते थे। कुछ सालों पहले उनकी मृत्यु हो चुकी है।
बड़ी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
जब से लोगों को इस शिवलिंग के बारे में पता चला हैं यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यहां बर्फ के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु करीब डेढ़ सौ मीटर तक बर्फ पर नंगे पैर चलकर पहुंचते हैं। खास बात यह है कि बर्फ में नंगे पांव चलने से भी श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं होता। दिसंबर महीने में यहां शिवलिंग का निर्माण शुरू होता है और जनवरी माह तक पूर्ण रूप ले लेता है।
कैसे पहुंचें अंजनी महादेव मंदिर
अंजनी महादेव तक पहुंचने के लिए सोलंग नाला से पांच किलोमीटर का सफर पैदल या घोड़ों से तय किया जा सकता है। सोलंग नाला पहुंचने के लिए मनाली से वाहन मिलते हैं। मनाली से सोलंग नाला की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। मनाली, हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध पर्यटन नगरी है। इसलिए यहां पहुंचने के लिए कई संसाधन उपलब्ध हैं। मनाली से निकटतम हवाई अड्डा 50 किलोमीटर दूर भुंतर कुल्लू में है। भंतुर के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ से फ्लाइट मिलती हैं। पहाड़ी इलाका होने के कारण मनाली में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। मनाली का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है। मनाली जाने के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ से बसें चलती हैं। दिल्ली से मनाली की दूरी करीब 540 किलोमीटर है। स्त्रोतअंतराजाल)
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space