पौंगबांध के बांध के सिल्ट जमाव की स्थिति का नियमित रूप से अध्ययन करना और संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाना आवश्यक है।
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भाग 3 ⇒ पौंगबांध सुरक्षा
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पौंगबांध राष्ट्रीय संम्पति है इसकी सुरक्षा और रक्षा करना विभाग, सरकार और देशवासियों का मौलिक उतर दायित्व है। इसे स्वार्थ की भेंट नहीं चढाया जा सकता।
⇒चिंतनशील विषय है यह, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती
भरमाड, 22/12/2024:पौंग बांध में सिल्ट (गाद) जमाव के कारण बांध की जलधारण क्षमता और कार्यक्षमता पर कई गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए पौंगबांध में सिल्ट का प्रभाव निम्न करने के लिए एवं पौंगबांध के जलाशय पर सिल्ट का असर कम से कम पडे, सिल्ट में बृद्धि करने बाले सभी स्त्रोतों पर सरकार एवं विभाग सकारात्मक लक्ष्य रखे । सिल्ट का असर पौंगबांध पर पड रहा है इसका असर पौंगबांध पर क्या पडेगा इससे को भी अनभिज्ञ नहीं है। इसका प्रत्यक्ष असर पौंगबांध की आयु पर पडेगा। आखिरकार क्या असर आता है सिल्ट से विवेचना करेंगे।
1. जलधारण क्षमता में कमी:
सिल्ट के जमाव से बांध की जल संग्रहण क्षमता घटती है, जिससे यह अपनी पूर्ण क्षमता से पानी को संग्रहीत नहीं कर पाता। इसका सीधा प्रभाव सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, और जल विद्युत उत्पादन पर पड़ता है।
2. तलछट दबाव से बांध की संरचना को खतरा:
सिल्ट का अत्यधिक जमाव बांध के निचले हिस्सों पर दबाव बढ़ा सकता है। यह संरचनात्मक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है और बांध के लंबे समय तक सुरक्षित रहने में कठिनाई पैदा कर सकता है।
3. जलप्रवाह अवरोध:
सिल्ट बांध के जलनिकासी और जलप्रवाह चैनलों को बाधित कर सकता है, जिससे अचानक जलभराव या बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
4. वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:
सिल्ट के कारण जलाशय का गहराई कम होती है और किनारे उथले हो जाते हैं। इससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों का निवास स्थान प्रभावित होता है और जलाशय की जैव विविधता खतरे में पड़ सकती है।
5. बाढ़ का खतरा:
सिल्ट जमाव से मानसून के दौरान जलधारण क्षमता कम हो सकती है, जिससे नदियों का प्रवाह बाधित होता है और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है
पौंग बांध के सिल्ट समस्या को हल करने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं विवेचना करेंगे।
1. डे-सिल्टिंग (सिल्ट हटाना):
समय-समय पर सिल्ट को साफ करने की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।
2. कैचमेंट क्षेत्र का सुधार:
बांध के जलग्रहण क्षेत्र में वृक्षारोपण और मृदा संरक्षण उपाय किए जाने चाहिए ताकि मृदा का कटाव कम हो।
3. पानी के प्रभावी उपयोग की योजना:
जलाशय से बाहर निकलने वाले पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने और सिल्ट जमाव को कम करने के लिए योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
4. सतत निगरानी:
बांध के सिल्ट जमाव की स्थिति का नियमित रूप से अध्ययन करना और संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाना आवश्यक है।
सार
सिल्ट समस्या का प्रभावी नियंत्रण न होने से पौंग बांध की उम्र और इसकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इसे समय रहते गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।पौंगबांध में होने वाली कृषि पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए पौधों के रोपन को ज्यादा से ज्यादा तब्बजो देना चाहिए। पर्यटन के नाम पर भवन निर्माण सहित अन्य आर्थिक योजना पर आधारित कार्य पौंगबांध की सुरक्षा को दरकिनार करके नहीं किए जाने चाहिए।
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