खाली पौंगबांध भूमि स्वार्थी लोगों का कुबेर की खान है , समय रहते सरकार व संबंधित विभाग ध्यान दें। ताकि पौंगबांध लम्बी उम्रदराज हो सके।
😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊
|
न्याय सभी को एक सामन मिलना चाहिए उन निर्बल ,गरीब पौंगबांध विस्थापितों के उपर पौंगबांध विभाग और प्रदेश सरकार दरियादिली दिखाऐ जिन्हें अवश्यकता है पौंगबांध की खाली भूमि पर खेती करने की अनुमति दे।
⇒जब भी कोई पत्रकार पौंगबांध की भूमि पर अबैध खेती को लेकर आबाज उठाता है तो कुछेक पौंगबांध विस्थापितों के निशाने पर आ जाता है क्यों…….?
⇒जब भी पौंगबांध की भूमि पर अबैध कृषि करने वालो पर जब शिकंजा कसा जाता है तो सोना उगलने वाली इस भूमि पर पौंगबांध विस्थापितों का एक वर्ग विरोध शुरू कर देता है…..? इनके आगे सरकार व पौंगबांध विभाग क्यों लाचार और पंगु हो जाता है….?
⇒ प्रवासी पक्षियों जंगली जानवरों को जो नुकसान होता है उसकी भरपाई कौन करेगा जबकि पौंगबांध ऐरिया प्राकृतिक वातावरण को स्थिर रखने के लिए संरक्षित है फिर नुकसान क्यों….?
⇒पौंगबांध में गाद साल दर साल तीव्रता से बढ़ रही है इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा। क्या सभी उतर दायित्व नहीं
कलेम दे चुकी जमीन जो खाली रहती है पौंगबांध विभाग अपनी इस भूमि पर पेड क्यों नहीं लगता। उस भूमि का उपयोग पौंगबांध हित में क्यों नहीं करता, इनकी क्या मजबूरी है।
⇒ खाली पौंगबांध भूमि स्वार्थी लोगों का कुबेर की खान है , समय रहते सरकार व संबंधित विभाग ध्यान दें। ताकि पौंगबांध लम्बी उम्रदराज हो सके।
⇒गौरतलब है कि पौंगबांध की पानी रहित भूमि में खेती करना गैरकानूनी है लेकिन वहुवली और अमीर लोग पौंगबांध की बांध की भूमि पर कृषि करना मौलिक अधिकार समझते हैं। गरीब पौंगबांध विस्थापित यहाँ खेती करने की सोच भी नहीं सकता।
अगर प्रदेश सरकार और पौंगबांध विभाग इन लोगों पर इतना मेहरवान है तो यह मौलिक अधिकार उन लोगों को दिया जाऐ जिन्हें भूमि का कलेम नाममात्र मिला या मिला नहीं आज भी असहाय जीवन जी रहे हैं।
पर्यावरण प्रेमियो की आबाज को दबाया जा रहा है। जबकि इन पौंगबांध पर्यावरण प्रेमियो की आबाज को तब्बजो देनी चाहिए।
पौंगबांध बनाने का अगर सबसे ज्यादा नुकसान व अहित उस वर्ग के साथ हुआ जो 1971 में बिना भूमि, नाममात्र जमीन वाले या शामलात भूमि पर रहने वाले या फिर जिनको कलेम नहीं मिला
इंडिया दर्पण न्यूज़ मांग करता है करता है कि सरकार एवं पौंगबांध विभाग पौंगबांध की खाली भूमि को प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर करे व ज्यादा तब्बजो इसी लक्ष्य पर रखे। इस भूमि पर पर्यटन के नाम पर प्राकृतिक सौंदर्य से की अनदेखी ना करे, भवन निर्माण कम से कम करे। जितनी कम छेड़छाड़ इस भूमि से होगी उतना उम्र पौंगबांध की बढेगी। किसी भी प्रकार की अबैध छेड़छाड़ ना हो।
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space