संस्कृति व संस्कारों की रक्षा के लिए होता है भगवान का अवतार : आदेश पुरी
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संस्कृति व संस्कारों की रक्षा के लिए होता है भगवान का अवतार : आदेश पुरी
भागवत कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण जन्म महोत्सव झांकी के माध्यम से मनाया गया
भरमाड (मन्दिर शिब्बो थान)15 दिसम्बर,मुख्य संपादक राम प्रकाश वत्स : आदेश पुरी ने भागवत कथा में कृष्ण जन्म का व्याख्यान करते हुए कहा कि जब जब भू लोक में पाप बढता है तब भगवान् अवतार लेते हैं अर्थात जब -जब धर्म की हानि और सज्जन पुरुषों को कष्ट दिया जाता है तथा आसुरी प्रवृति के लोग समाज में आराजिकता फैलाते हैं तब धरती माता कांप उठती है l विश्व में धर्म शान्ति स्थापित करने और आपसी सौहार्द को मजबूत करने के लिए निराकार शक्ति को साकार बनकर आना पड़ता है l उक्त विचार गद्दी सिद्ध बाबा शिब्बोथान भरमाड़ में कथा व्यास स्वामी आदेश पुरी जी ने श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए व्यक्त किए l उन्होंने कहा कि संस्कृति व संस्कारों की रक्षा के लिए होता है भगवान का अवतार l कुमार्ग गामियों को संमार्ग पर चलाने के लिए स्वयं अवतारी पुरुषों को कर्म क्षेत्र में उतरना पड़ता है l सधारण पुरुषों की भांति समाज में रहकर भगवान भक्ति ज्ञान, कर्म त्याग के मार्ग पर अग्रसर करते हैं l भगवान अपने निजधाम जाने से पहले धर्म के इस कार्य के लिए सनातनी सन्त महापुरुषों को मनोनीत करके जाते हैं l आगे चलकर अलग -अलग क्षेत्र में सभी धर्माचार्य अपनी इस धर्म मर्यादा का पालन करते हुए भगवान के सनातन धर्म को आगे बढ़ाते हैं l
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