पर्यावरण प्रेमी ने पल्ली में प्रेसवार्ता कर पौंग बैटलैंड में आने बाले प्रबासी पक्षियों को मांगी सुरक्षा
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पर्यावरण प्रेमी ने पल्ली में प्रेसवार्ता कर पौंग बैटलैंड में आने बाले प्रबासी पक्षियों के लिए मांगी सुरक्षा इनकी रक्षा का हरेक का दायित्व है।
IDN H.P.State Chief Bureau,Vijay Samyal
Published by:indiadarpannews.com
पौंग बैटलैंड में आने बाले प्रबासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए विभाग व स्थानीय लोगों एवं सरकार सकारात्मक ध्यान दें ⇒ प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा
शिमला/28/11/2024/वीरवार : आपको बता दें क्षेत्र के प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा ने बुधवार करीब 2 बजे पल्ली में प्रेसवार्ता कर पौंग बैटलैंड में आने बाले प्रबासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए विभाग व स्थानीय लोगों अपील की है ।उंन्होने कहा सर्दियों के मौसम में हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर दूरदराज के देशों के भिन्न भिन्न प्रजातियों के पक्षी हिमाचल के पौंग बैटलैंड क्षेत्र में पहुँचने हैं ।
मेहमान पक्षियों के लिए जिनकी जिम्मेदारी है उनके हाथ भी बंधे हैं क्योंकि पौंगबांध के किनारे कृषि हौती है इसके चलते यंहा पक्षियों के अंडों को भारी नुकसान होता है वंही छुपके से अनैतिकता तरीकों से शिकार भी होता है⇒प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा
प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा ने कहा किसुरक्षा का वन्य प्राणी बिभाग को जिम्मा सौंपा हुआ है। लेकिन हैरानी है की पौंग बैटलैंड के एक ब्लॉक में विभाग के कर्मचारी प्रबासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नही हैं।
प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा कहा जिसके चलते दूरदराज से पहुंचे पक्षी सुरक्षित नही है ।प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्माने कहा कि जो पक्षी विपरीत परिस्थितियों में भी बिना थके उड़ते हुए पौंग बैटलैंड क्षेत्र में पहुचंते हैं ।उनकी सुरक्षा करना विभाग के साथ -साथ हम सब भी उत्तरदायित्व बनता है। लेकिन विभाग को 24 घण्टे उनकी सुरक्षा में तैनात रहना चाहिए ।इस मौके पर कुलबन्त ठाकुर भी उपस्थित रहे ।
प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा से बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश
प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्माने कहा कि बांध या जलाशय में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
. जलाशय के आसपास विशेष क्षेत्र को ‘पक्षी अभयारण्य’ घोषित करें।मानवीय गतिविधियों को सीमित करें,
जागरूकता अभियान चलाया जाए। स्थानीय समुदाय और पर्यटकों को प्रवासी पक्षियों के महत्व और उनकी सुरक्षा के बारे में जागरूक करें।स्कूलों और ग्रामीण समुदायों में कार्यशालाएं आयोजित करें।
मानव हस्तक्षेप को कम करना,जलाशय के पास निर्माण कार्यों पर रोक लगे।
प्राकृतिक आवास की रक्षा के लिए जलाशय में प्राकृतिक वनस्पति और घोंसले बनाने की जगह सुरक्षित रखें।
सुरक्षा गश्त और निगरानी पर जोर देंवन विभाग या स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित गश्त की व्यवस्था करें।शिकार और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरों का उपयोग करें।
जलाशय के आसपास कृत्रिम घोंसले और आश्रय स्थल तैयार करें।विशेष रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए उपयुक्त वातावरण बनाएं।
जलाशय में जल स्तर को प्रवासी पक्षियों की आवश्यकताओं के अनुसार प्रबंधित करें।जलाशय के आसपास पेड़-पौधों की कटाई को रोकें।
प्रवासी पक्षियों की आबादी और उनकी आदतों पर नियमित अध्ययन करें।डेटा के आधार पर संरक्षण नीतियां बनाएं।
स्थानीय समुदाय की भागीदारी अवश्य होनी चाहिए।ग्रामीण समुदायों को संरक्षण परियोजनाओं में शामिल करें और उन्हें रोजगार के अवसर दें।
इन उपायों से प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा की जा सकती है।
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