धान की मंडियों के सूरते हाल, आज भी करीव 25 गाडियां खाली होने का कर रही है इंतजार*नहीं बिकता अब हिमाचल के किसानों का साथ लगते पंजाब की मंडियो मे धान ,जाएं तो कहाँ जाएं किसान?
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*धान की मंडियों के सूरते हाल, आज भी करीव 25 गाडियां खाली होने का कर रही है इंतजार ।*
*नहीं बिकता अब हिमाचल के किसानों का साथ लगते पंजाब की मंडियो मे धान ,जाएं तो कहाँ जाएं किसान?*
*आखिर जिला के दो शैलरों पर ही मेहरवान क्यों है विभाग व सरकार :- किसान संघ*
*किसान पहले पंजाब मे बेच देते थे फसल*
*3 क़ृषि क़ानून के बाद 2022 मे पंजाब ने लगायी नई शर्त।
*आधार कार्ड और ज़मीन के कागज के बाद ही पंजाब के किसान को प्राथमिकता ,*
IDN State Chief Bureau,Vijay Samyal H.P.
फतेहपुर(कांगड़ा) :-11/11/2014:- प्रदेश के किसान जाएं तो जाएं कहाँ, यह सबसे बड़ा सवाल आज जिला कांगड़ा के किसानों के लिए अपनी धान की फ़सल बेचने के लिए बन चुका हैं मंडियों के आज की ताजा हालातों से अवगत करवा तो रियाली मंडी का प्लेटफॉर्म धान से भर चुका हैं लोग अब फतेहपुर की तरफ कुछ कर रहे हैँ
अगर बात कांगड़ा जिले के ऊपरी क्षेत्र की करें तो शाहपुर कांगड़ा के आस पास के किसानों के धान से भरे आठ ट्रकों के साथ कुल अठारह माल वाहक वाहन ट्रेक्टरों सहित मंडी परिसर में आज भी पिछले पांच – छे दिनो से खाली होने का इन्तजार कर रहे हैँ जबकि इनके इलावा अन्य किसान टोकन लगने का इन्तजार कार रहे हैँ जबकि उनकी फ़सल अभी भी खेतोँ में पड़ी हुई हैं | अपनी फ़सल बेचने में हो रही दिक्क़त पहले हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्र रियाली के किसान पंजाब में अपनी फसल बेचते थे लेकिन क़ृषि पर तीन कानून आने के बाद अब पंजाब में केवल वही किसान अपनी फ़सल बेच सकते हैं जिनकी जमीन पंजाब में हैं। फसल बेचने के समय पंजाब का जमीन का पर्चा व अधार कार्ड होना जरूरी कर दिया गया हैं जैसे की हिमाचल प्रदेश में हैं| सरकार के नियमों के अनुसार प्रति एकड़ जमीन में उत्पाद की औसत के अनुसार ही फसल खरीदी जा रही हैं ऐसे में हिमाचल के किसान जो पंजाब में अपनी फ़सल बेचते थे वे किसी पंजाब के किसान के नाम पर फ़सल बेचता था लेकिन उन्हें यह डर सताता रहता था कि कहीं उसका पैसा मर ना जाए क्योंकि फ़सल का पैसा उसी किसान के खाते में जाता था जिसके नाम पर फ़सल दर्ज होती थी |
इसी समस्या को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने मिलवा, रियाली तथा फतेहपुर में मंडियां खोल दी लेकिन अब समस्या यह आना पड़ी हैं कि सरकार ने धान की खरीद तो कर ली लेकिन उसे लिफ्ट करने का प्रोसेस बढा धीमा है मात्र दो शैलर राजा का बाग़ तथा दलियारा में स्थित हैं को मात्र 2500 क्वांटल धान से चावल बनाने को दिए जा रहे हैं उस पर भी एक शर्त लगा दी हैं की जबतक दिए धान का चावल शैलर से वापिस नहीं आता तब तक दूसरी खेप नहीं दी जाएगी जो की अनुचित हैं |
*आखिर दो ही शैलरों पर क्यों हैं मेहरबानी सरकार व विभाग : किसान संघ*
इस मामले पर एपीएमसी के नव नियुक्त सदस्य एवं हिमाचल किसान संघ इकाई फतेहपुर के अध्यक्ष व रियाली मंड निबासी विजय कुमार ने कहा की विभाग किसानों की और ना देख के मात्र जिला के दो शैलरों को अमीर करने के प्रयास में हैं | और उनपर ही मेहरबान क्यों है उन्होंने कहा की सरकार को जिला ऊना तथा अन्य जिलों के बड़े बड़े शैलरों से संपर्क करना चाहिए ताकि लिफ्टिंग जल्दी हो सके व किसानों की फसल बिक सके| उन्होंने कहा की आज वो फतेहपुर पहुंचे वहां देखा कि पुरे कांगड़ा से आए किसानों कि पचचीस से छव्विस गाड़ियां जो धान से भारी हुई हैं पिछले पांच से छ: दिनों से गाडी खाली होने का इन्तजार कर रहे हैँ वहीं किसान तिरलोक सिंह, राजेश कुमार सुनीत आदि का कहना हैं कि अब हालत यह बन चुके हैँ कि किसान मंडियों में धान बेचने के किए बैठेंगे या अपनी नई फ़सल को लगाने की तैयारी करें या बीजी हुई सरसों कि तरफ ध्यान दें या खेतों में पड़े धनों कि तरफ ध्यान दें आखिर किसान जाएं तो जाएं कहाँ |
उन्होंने कहा कि अगर सरकार व विभाग ने लिफ्टिंग सही नहीं की तो किसानों की फ़सल खेतोँ में ही सड़ जाएगी उन्होने कहा सरकार एक तरफ किसानों की वित्तीय स्थिति को सुधारने की बात करती हैं व किसानों को ज्यादा से ज्यादा फ़सल उगाने की बात कहती हैं दूसरी और फ़सल का ना बिकना उनके मनोबल को तोड़ देगा, जिससे किसान खेतोँ में काम करने के बजाए अपने खेतो को खाली रखना ज्यादा पसंद करेगा क्योंकि ऐसे में फ़सल उगाना उसके लिए उचित ना होगा |अगर समय रहते खेतो से फ़सल न उठपायी तो बारिश से किसानो की फसल खेतो में बरबाद हो जाएगी जिससे किसानों को करोड़ों का नुक्सान होगा ।
निदेशक राम गौतम के बोल……(फोन पर )
इस बारे में खाद्य आपूर्ति विभाग के निदेशक राम गौतम ने कहा कि सोमवार को जिला खाद्य आपूर्ति विभाग नियंत्रक की अगुवाई में मंडियों में पहुंचकर किसानों की समस्याओं को जानेगी तथा उनका हल करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। किसानों की फसल को समय रहते खरीदा जाएगा।
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