बनोली खास के वार्ड नंबर 5 के महेन्द्र सिंह, अपनी पत्नी कुगरी देवी दो बच्चे कच्चे और जर-जर मकान में कई वर्षों से रहने को मजबूर— क्या सरकारी योजनाओं का लाभ इस प्रकार के परिवारों को मिलना अन्याय है या न्याय इसका फैंसला कौन करेगा
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सुलगते प्रश्न……?
आखिर सरकार की जनहित किस के लिए बनाई गई है। आप स्वयं देखे वीडियो यह घर कितने बडे धनवान का घर है।जो सरकारी योजना पाने का हकदार नही है। आज तक क्यों अनदेखी का शिकार रहा। यह फैसला पाठकों पर छोडता हूँ।
पंचायत में वोट पक्का करने के लिए या फिर अयोग्य पात्र परिवारों के लिए
सरकार की सामूहिक जनहित योजना जो केवल उन परिवारों के लिए बनाई जाती है जो किसी भी हालत में मकान नहीं बना सकते।
आवास योजनाओं के नाम पर पंचायती राज विभाग गरीबों की खिल्ली उड़ा रहा है……? #जिम्मेदारी किसकी
पंचायत प्रधान शोभा देवी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि महेन्द्र सिंह का परिवार गरीब है और 2018 के सर्व में इनके मकान का नाम भी डाला था लेकिन इनका मकान सुची में नहीं आया है……. क्यों
दोषी कौन इसे निधारित कौन करेगा गरीब परिवार कौन है या फिर बातानुकूल आलीशान कमरो में बैठकर इस लचीलापन योजना को बनाने वाले जिन्हें गरीवी का एहसास नहीं है
तकरीबन 80 प्रतिशत पंचायतों आवास योजनाओं विवादित है। शिकायत करने पर निपटारा वोही करते हैं जो इस विवाद की जड़ है वह अपनी कार्य शैली पर कैसे आंगुली उठा सकते हैं।
शायद आजतक इस बात का जबाब नही मिला की सरकार की जनहित योजनाओं का दिवाला लक्ष्य पूरण करने से पहले क्यों निकल जाता है।धराशायी क्यों
अगर इस लावी के प्रति कोई गरीब परिवार आबाज उठाता है तो उसे हर प्रकार के कानून व शर्तों की लम्बी लिस्ट से दोचार होना पडता है।
सरकार किसी रिटायर्ड जज को इसकी जांच के लिए नियुक्त करे।
IDN Chief Editor Ram Prakash Vats
जवाली /04/11/2024:दोषी कौन इसे निधारित कौन करेगा की परिवार गरीब है या फिर बातानुकूल आलीशान कमरो में बैठकर इस लचीलापन योजना को बनाने वाले जिन्हें गरीवी का एहसास नहीं है। कहते हैं कि भगवान किसी को गरीबी दे, पर बदनसीबी किसी को न दें। ऐसा ही एक मामला विधानसभा क्षेत्र ज्वाली की पंचायत बनोली खास के वार्ड नंबर 5 के गांव बासा (चिपी )में सामने आया है। जहां आवास योजनाओं के नाम पर पंचायती राज विभाग गरीबों की खिल्ली उड़ा रहा है। इस बात का अंदाजा महेन्द्र सिंह के परिवार की हालत को देखकर लगाया जा सकता है। बनोली खास के वार्ड नंबर 5 के महेन्द्र सिंह, अपनी पत्नी कुगरी देवी दो बच्चे कच्चे और जर-जर मकान में कई वर्षों से रहने को मजबूर हैं। जिसकी स्लेटनुमा छत पुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है और बरसात में टपकती रहती है। मकान की दीवारों पर दरारें आ गई है। यह कहना गलत नहीं होगा की इस उम्र में वह अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ मौत के साए में दिन काट रहे थे यह मकान कभी ढह सकता है। महेंद्र सिंह बेरोजगार, है। वहीं पीड़ित परिवार को पंचायत ने बीपीएल में लगभग डेढ़ वर्ष पहले ही डाला था आमदनी का कोई साधन नहीं है। वहीं महेंद्र सिंह का कहना है कि जब हम रात को सोते है तो रात भर मन में यही ख्याल रहता है कि सुबह तक हम जीवित रहेंगे जा नहीं वहीं महेंद्र सिंह की पत्नी ने बताया की मे लगभग 5 साल से बार बार पंचायत कार्यालय के चक्कर काट रही हूं और ना ही आज तक जल जीवन मिशन की कोई भी स्कीम हमारे घर तक पहुची साहब हमारे लिए काहे का जल जीवन मिशन जिसका आज तक कोई हल नहीं हुआ मेरा परिवार तिरपाल नमुना झुग्गी में रहने को मजबूर हैं वहीं पीडति परिवार ने सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है कि हमारी मदद की जाए
जब इस बारे में पंचायत प्रधान शोभा देवी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि महेन्द्र सिंह का परिवार गरीब है और 2018 के सर्व में इनके मकान का नाम भी डाला था लेकिन इनका मकान सुची में नहीं आया है और मैंने पंचायत में प्रस्ताव डालकर इनका नाम वेलफेयर में भेज दिया है ! इस बारे पंचायत सदसय कमलेश कुमारी से जानना चाहा तो उसने बताया कि इसका मकान जर्जर हालत मै है और कभी भी गिर सकता है ! इसे आवास की बहुत जरूरत है !
जब इस बारे में पंचायत सचिव मुनिंदर सिंह से बात हुई तो उन्होंने कहा कि परिवार गरीब है जैसे ही अन्य आवास योजना की स्कीम आएगी तो सबसे पहले इनके मकान को बनाया जाएगा !
जब इस बारे में खंड अधिकारी सुभाष अत्री से बात हुई तो उन्होंने कहा कि मुझे मीडिया के माध्यम से पता चला है और पंचायत से पता किया जाएगा की। महेंद्र सिंह का मकान 2018 के सर्व में कैसे छूट गया जब की सरकार की तरह से कोई आवास योजना आती है तो सबसे पहले इनके मकान को प्राथमिकता दी जाएगी ।
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