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हिमाचल प्रदेश के धामी में अनोखा मेला, यहां एक-दूसरे पर बरसाए जाते हैं पत्थर, जानें-मान्यता

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हिमाचल प्रदेश के धामी में अनोखा मेला, यहां एक-दूसरे पर बरसाए जाते हैं पत्थर, जानें-मान्यता आज हुई पाषाण बारिश लोग हुऐ लहुलुहान, हजारों लोगों ने देखा इस परम्परा को

IDN,H.P.State,Chief Bureau,Vijay Samyal 

शिमला/11/2014/शुक्रवार:- हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की पावन भूमि है। इसके कण-कण में देवी देवताओं का निवास है । हिमाचल प्रदेश में राजे महाराजाओं के साथ देवताओं की जुडी अनेक मान्यताऐं है जो पुरातन संस्कृति को अपने अन्दर समेटी हुई है। यह मानाताऐं समाज को एक सूत्र में परोस कके लिए सहायक सिद्ध होती है इसी प्रकार की एक मान्यता राजधानी शिमला से 26 किलोमीटर दूर धामी क्षेत्र के लोग गांव की है यहां एक-दूसरे पर बरसाए जाते हैं यह पावन त्योहार दीपावली  के बाद अगले दिन मनाया जाता

शिमला से 26 किलोमीटर दूर धामी क्षेत्र के हलोग गांव में पत्थरों का अनोखा मेला शुक्रवार को आयोजिन हुआ दीपावली पर्व के एक दिन बाद मनाए जाने वाले इस ‘पत्थर मेले’ में दो दल एक दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए इस दौरान जमकर पत्थरबाजी हुई दोपहर दो बजे के बाद यह मेला शुरू हुआ।। यह खेल माता सती का शारड़ा चबूतरे के दोनों ओर खड़ी टोलियों जठोती और जमोगी के बीच हुआऔर सिर से निकले खून से भद्रकाली के मंदिर में जाकर तिलक कर परंपरा को पूरा किया गया।पत्थर से घायल व्यक्ति का प्राथमिक उपचार किया गया

क्यों निभाया जाती है यह परम्परा जानिए इस परम्परा के बारे में

दरअसल, सदियों से चली आ रही इस परंपरा का जुड़ाव धामी रियासत के राजपरिवार से है।यहां पर स्थानीयों खूंदों यानी की टोलियां इस पत्थरबाजी में शामिल होती है। सबसे पहला पत्थर राज परिवार की ओर से मारा जाता है, उसके बाद दोनों ओर से तुरंत पत्थरों की बौछार शुरू होती है।दोनों ओर से पत्थरों की बरसात तब तक बंद नहीं होती, जब तक कि कोई लहूलुहान न हो जाए।इस पत्थरबाजी में जिस व्यक्ति का रक्त निकलता है, उससे मां भद्रकाली को रक्ततिलक किए जाने की परंपरा है। मान्यता है कि धामी में क्षेत्र में आई आपदाओं से प्रजा को बचाने के लिए इस मेले का आयोजन होता

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