साहब मत गिराओ मेरे कच्चे मकान, कहा जायेंगे हम लोग*
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*साहब मत गिराओ मेरे कच्चे मकान, कहा जायेंगे हम लोग*
*महमूदाबाद में शत्रु संपत्ति की ज़मीन पर हटाया गया अवैध अतिक्रमण*
महमूदाबाद, 12/09/2014:ममहमूदाबाद में शत्रु संपत्ति की जमीन पर कल सुबह से ही बाबा के दो बुलडोजर गरजने लगे। यह सब कुछ देखकर वहां पर उपस्थित लोगों में सन्नाटा छा गया। वहां पर रहने वाली गरीब आवाम के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वहां पर उपस्थित बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे तेज तेज चिल्लाने लगे और रोने लगे की रहने दो साहब …रहने दो…हमने कोई पक्के मकान नहीं बनाए हैं। बस गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। मेरे घर पर बुलडोजर मत चलाओ। तभी वहां पर भीड़ के पीछे से आवाज आई कि पहले इन पक्की दीवारों पर बुलडोजर चलवाओ, फिर इसके बाद मेरे कच्चे मकान भी गिरा देना हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन बड़े अफसरों का आदेश था कि शत्रु संपत्ति की जमीन से अवैध कब्जे को खाली कराया जाए। महमूदाबाद में करीब 100 बीघा से अधिक जमीन शत्रु संपत्ति की है। यहां पर एक लाख पेड़ों से भी अधिक एक आम की बाग है। जो आसपास के प्रदेशों में लखपेड़ा के नाम से जानी जाती है। इसी शत्रु संपत्ति की जमीन पर एक भाजपा नेता ने भी अवैध अतिक्रमण कर रखा है और कुछ दबंग भूमाफियाओं ने भी कब्जा कर रखा। सूत्रों के मुताबिक पता चला कि इसके पीछे नगर लेखपाल का हाथ है। आखिर क्या कारण रहा कि प्रशासन का बुलडोजर उनकी बिल्डिंगों पर क्यों नहीं चला। यह सवाल अपने आप में एक अहम भूमिका रखता है। वही नजदीक में ही एक वोडाफोन का टावर भी है। टावर लगभग कई सालों से उसी जगह स्थित है आखिर इसका किराया कौन लेता है और वह किस व्यक्ति का है।
*पक्की दिवारे बच गई, कच्ची दीवारों पर ही क्यों चला बुलडोजर*
अवैध अतिक्रमण हटाने के बाद अब जनता ने भी सवाल करने शुरू कर दिए हैं। जनता का कहना है कि गरीबों पर ही क्या बाबा का बुलडोजर चलेगा। भाजपा के नेता और दबंग भूमाफियाओं पर क्यूं नहीं। उन लोगों ने भी तो शत्रु संपत्ति पर पक्के मकान बना रखे हैं। इसमें जरूर कोई ना कोई मिला हुआ है। या तो पैसा चला है। या फिर सरकार में बैठे लोगो का सिस्टम।
*इतने दिनो में बाग से कमाया लाखों रुपए किस की जेब में*
लोगों ने बताया कि शत्रु संपत्ति की जमीन पर लगभग अभी भी हजारों पेड़ आम के लगे हुए हैं उसी में राजा साहब के करीबी लोग हर साल फसल के लाखों रुपए अपनी जेब में रख लेते हैं। तब तो यह पैसा भी राजस्व विभाग में जाना चाहिए। लेकिन यह पैसा राजस्व में क्यों नहीं जाता। और इतने सालों से बागवानों से कमाया हुआ पैसा राजस्व के खाते में भेजा जाए तथा इसकी भरपाई भी उन लोगों से की जाए जो इतने दिनों से बाग पर काबिज थे।
*लोगों का आरोप की स्थानीय प्रशासन की मनमानी तरीके से हटा अवैध अतिक्रमण*
कुछ लोगों का तो यह भी आरोप है कि शत्रु संपत्ति की जमीन पर अतिक्रमण स्थानीय प्रशासन अपनी मनमानी तरीके से हटा रहा था। कुछ लोगों की पक्की दीवारों से बनी झोपड़िया वहां पर अभी भी काबिज है। और कच्चे मकान गिरे दिए गए। ये पुरा काम अपनी मनमानी तरीके से किया गया है _ गंगा प्रसाद।
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