जम्मू-कश्मीर के चुनावों को भारत की एकता और पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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संपादकीय लेख
जम्मू-कश्मीर में भारत के संविधान के तहत विधानसभा चुनाव करवाये जा रहे हैं।इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर में हो रहे ये चुनाव भारतीय संविधान के अनुसार हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि राज्य की जनता भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनी रहे।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव भारत के संविधान के तहत कराए जा रहे हैं, जो भारतीय संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और राज्य के पुनर्गठन के बाद, यह पहला अवसर है जब वहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश है, और यहां चुनाव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239A के तहत हो रहे हैं, जो केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विधानसभाएं गठित करने की अनुमति देता है।
**चुनावों का महत्व और कानूनी आधार:**
1. **संवैधानिक प्रक्रिया का पालन:** चुनाव भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं, जो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। यह प्रक्रिया जम्मू-कश्मीर के लोगों को संविधान के तहत अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देती है।
2. **लोकतंत्र को मजबूत करना:** इन चुनावों का उद्देश्य राज्य के लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल करना और उनके राजनीतिक अधिकारों को बहाल करना है। ये चुनाव यह भी सुनिश्चित करते हैं कि जम्मू-कश्मीर का प्रशासन जनता की इच्छा के अनुरूप चले।
3. **राजनीतिक स्थिरता और विकास:** चुनाव जम्मू-कश्मीर में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे क्षेत्र के विकास के लिए एक चुनी हुई सरकार का मार्ग प्रशस्त करते हैं, जो स्थानीय मुद्दों और आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझ सकती है।
जम्मू-कश्मीर के चुनावों को भारत की एकता और पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अनुच्छेद 370 के हटने और राज्य के पुनर्गठन के बाद यह पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। ये चुनाव भारतीय संप्रभुता को मजबूत करने और पाकिस्तान द्वारा बार-बार की जाने वाली आलोचना और हस्तक्षेप के जवाब के रूप में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
**1. भारत की एकता का प्रदर्शन:**
चुनावों को जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को मुख्यधारा में शामिल करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से देखा जा रहा है। इससे भारत की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा, जो यह संदेश देगा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।
**2. पाकिस्तान को जवाब:**
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में लगातार अस्थिरता और हिंसा फैलाने की कोशिश करता रहा है। इन चुनावों के माध्यम से भारत यह संदेश देना चाहता है कि राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया जारी है और लोग शांति और विकास के लिए मतदान कर रहे हैं। चुनावों के सफल आयोजन से यह सिद्ध होगा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में स्थिति को नियंत्रण में रखा है और पाकिस्तान की कोई भी चाल सफल नहीं हो रही।
**3. कश्मीरी अवाम की भागीदारी बढ़ाना:**
भारत सरकार चाहती है कि जम्मू-कश्मीर के लोग राज्य के विकास में भाग लें और अपनी सरकार चुनें। इससे पाकिस्तान के उस नैरेटिव को भी कमजोर किया जा सकता है कि कश्मीर के लोग भारत के साथ नहीं हैं।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के चुनावों को इस संदर्भ में देखा जा रहा है कि वे न केवल लोकतंत्र की जीत हैं बल्कि भारत की एकता और संप्रभुता की मजबूती का भी प्रतीक हैं। पाकिस्तान के दुष्प्रचार और आतंकवाद के प्रयासों के बावजूद, इन चुनावों का शांतिपूर्ण और सफल आयोजन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीतिक सफलता के रूप में भी देखा जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में चुनावी गतिविधियों के दौरान मतदाताओं का रूझान कई महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता है। इस साल के चुनावों में मतदान का प्रतिशत हाल के वर्षों के मुकाबले काफी ऊंचा रहा है। श्रीनगर में हुए चुनाव में करीब 36% मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले चुनावों के मुकाबले दोगुना है। यह संकेत करता है कि मतदाता लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अधिक विश्वास जता रहे हैं, खासकर 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद
मुख्य राजनीतिक पार्टियों में नेशनल कांफ्रेंस (NC) और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ये पार्टियां विशेष रूप से कश्मीर घाटी में अपनी खोई हुई स्वायत्तता की बहाली को लेकर प्रचार कर रही हैं, । बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए 51 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि NC और कांग्रेस के गठबंधन ने 66 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। PDP ने कश्मीर घाटी में 40 से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं, जहां उसकी पारंपरिक पकड़ मजबूत है।
कई मतदाता वर्तमान राजनीतिक स्थिति और विकास के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए मतदान करेंगे। जिसमें बेरोजगारी, आर्थिक स्थितियां और अधिकारों की बहाली जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे और ये चुनाव जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगे ।
**भाजपा (BJP) का घोषणापत्र**:
1. **अनुच्छेद 370 का समर्थन नहीं**: भाजपा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अनुच्छेद 370 को पुनः बहाल करने का कोई सवाल ही नहीं है। भाजपा का जोर राज्य में शांति, विकास, और सामाजिक न्याय पर है, जो उन्हें लगता है कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद ही संभव हुआ है।
2. **विकास और रोजगार**: भाजपा का वादा है कि जम्मू-कश्मीर को एक पर्यटन और निवेश हब के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
3. **आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई**: भाजपा का फोकस राज्य को आतंकवाद मुक्त बनाना है और इसके लिए सुरक्षा बलों की तैनाती और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
4. **महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा और विकास**: घोषणापत्र में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके लिए विशेष योजनाएं लागू करने का वादा किया गया है।
**कांग्रेस का घोषणापत्र**:
1. **राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 की बहाली**: कांग्रेस का मुख्य एजेंडा राज्य का विशेष दर्जा बहाल करना और अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करना है। कांग्रेस का मानना है कि राज्य का दर्जा बहाल करके ही वहां के लोगों की पहचान और अधिकार सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
2. **राजनीतिक कैदियों की रिहाई**: कांग्रेस ने सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और जम्मू-कश्मीर के मुद्दों पर केंद्र सरकार से बातचीत करने का वादा किया है।
3. **अर्थव्यवस्था और शिक्षा**: कांग्रेस का फोकस राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और युवाओं के लिए बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने पर है।
4. **समाज के सभी वर्गों के लिए विशेष योजनाएं**: कांग्रेस ने राज्य के अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए विशेष योजनाएं लागू करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा किया है
ये घोषणापत्र चुनाव में दोनों पार्टियों के एजेंडा और उनके प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हैं, जो राज्य के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के घोषणापत्र मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली और क्षेत्रीय विकास पर केंद्रित हैं।
**पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) का घोषणापत्र:**
– पीडीपी ने अनुच्छेद 370 की बहाली का वादा किया है और पाकिस्तान के साथ व्यापार और संपर्क को बढ़ावा देने के लिए लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर पारंपरिक व्यापार मार्गों को खोलने का प्रस्ताव रखा है।
– पार्टी ने लोक सुरक्षा अधिनियम (PSA), गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और शत्रु अधिनियम को निरस्त करने का वादा किया है।
– पार्टी ने कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी के लिए प्रतिबद्धता जताई है और पुनर्वास के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की है।
– पीडीपी ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए मुफ्त बिजली, पानी और रसोई गैस की आपूर्ति का भी वादा किया है
**नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) का घोषणापत्र:**
– एनसी ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली के लिए कानूनी और संवैधानिक उपायों का समर्थन किया है, जिसमें अनुच्छेद 370 की पुनर्स्थापना शामिल है।
– पार्टी ने राज्य के दर्जे की बहाली और गैर-निवासियों के लिए भूमि स्वामित्व पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में कानूनों को संशोधित करने का संकल्प लिया है।
– एनसी ने भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद को बढ़ावा देने और कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी के लिए कदम उठाने का भी वादा किया ह
ये घोषणापत्र पीडीपी और एनसी की मुख्य चुनावी रणनीतियों को दर्शाते हैं, जो कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के समाधान की दिशा में उनके रुख को स्पष्ट करते हैं।
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