राजयोग की कुंडलियां छन्द –गंगा सखी यमुना सखी से कहती है……
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🌹जय सच्चिदानंद जी🌹
पनियाला आश्रम से 7–5-2024-आज की राजयोग की कुंडलियां छन्द –गंगा सखी यमुना सखी से कहती है……..
🙏रचना सखी नर देहि की
क्या समझे यह अनाड़ी l
तीन अवस्था तीन गुण
बहत्तर हजार सखी नाड़ी l
बहत्तर हजार सखी नाड़ी
मन बुद्धि चित्त अंहकार l
दस प्राण पांच कोष हैं
कौशकाओं का नहीं पार l
कह ‘आदेश’ कविराय
आहार का अद्भुत पचना l
लाख चौरासी में सखी
मानव सुन्दर रचना l
🌹बीच में आज्ञा चककर के
जो सखी ध्यान लगाए l
अष्टदल कमल हृदय का
हे सखी खिलता जाए l
हे सखी खिलता जाए
तन का एक-एक रोम l
प्राण को सखी अपान में
जो नित्य करता होम l
कह ‘आदेश’ कविराय
बैठ जाए अखियाँ मीच l
सखी विचारों की कोई
रहे नहीं दुविधा बीच l
❤️योग का अर्थ जुडी रहे
सुरती शब्द के साथ l
जिव्हा हिले न होंठ सखी
पैर हिले नहीं हाथ l
पैर हिले नहीं हाथ
लग जाए सुन्न समाधि l
इस दुनिया की हे सखी
रहे ना कोई उपाधि l
कह ‘आदेश’ कविराए
नष्ट होएं तीनों रोग l
उस क्रिया को कहते
हे सखी आत्म योग l
मो0–9816422848
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